यदि संघर्ष जोरदार हो तो उसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देती है

यदि संघर्ष जोरदार हो तो उसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देती है
फिर से खुला गेट..
यदि संघर्ष जोरदार हो तो उसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देती है

रौशन कुमार पूसा, समस्तीपुर ।।

 पिछली बार कोरोना की दूसरी लहर के दौरान डाॅo राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कुलपति ने विश्वविद्यालय का जनहित का मार्ग बंद कर दिया था और इस गेट को कई महीने तक बंद रखा गया था। जबकि विश्वविद्यालय में कोई भी कोरोना का पॉजिटिव केस नहीं था और विश्वविद्यालय परिसर को कंटेनमेंट जोन से मुक्त कर दिया गया था। इसकेे बाद विवि के मुख्य द्वार को खोला जा सकता था, लेकिन मुख्य द्वार जानबूझकर बंद रखा गया था। कई माह तक गेट बंद ही था।  विवि का मुख्य द्वार बंद रहने से लोगों को अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। लोग परेशान थे, उन्हें दूसरे रास्ते से लगभग 3 कि.मी. घूमकर अनुमंडलीय अस्पताल पूसा, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, टीचर ट्रेनिंग कॉलेज प्रखंड मुख्यालय, थाना, बैंक आदि जगहों पर जाना पड़ता था। ये मार्ग इन स्थलों पर जाने का मुख्य मार्ग है। ये द्वार बंद रहने से लोगों में विश्वविद्यालय के प्रति नाराजगी व व्यापक आक्रोश था।  एम्बुलेंस या किसी प्रकार की दुर्घटना के बाद लोगों को लगभग 3 कि०मी० घूम के दूसरे रास्ते से अस्पताल जाना पड़ता था,  यदि दुर्घटना में गंभीर रूप से कोई व्यक्ति घायल रहता तो उसे अस्पताल पहुंचने में अत्यधिक समय लगता था, जिससे घायल व्यक्ति के लिए खतरा बना रहता था। यही समस्या अस्पताल जाने वाली गर्भवती महिलाओं के साथ थी। उन्हें भी घूम कर अधिक दूरी तय करके परेशानी का सामना करना पड़ता था। लेकिन विश्वविद्यालय मुख्य द्वार खोलने को तैयार नहीं था। अंत में छात्र संगठन आइसा ने विश्वविद्यालय का मुख्य द्वार (जनता के दिनचर्या का मार्ग) खुलवाने के लिए आंदोलन का रूख अपनाया। लगभग डेढ़ माह तक लगातार चले अथक व जोरदार आंदोलन  ने विश्वविद्यालय प्रशासन को गेट खोलने पर मजबूर कर दिया। विश्वविद्यालय का गेट खुलवाना आसान नहीं था। अंततोगत्वा गेट खुला, जनता खुश हो उठी। आइसा पर जनता का विश्वास बढ़ा। 
   इस बार कोरोना की तीसरी लहर के दौरान कोरोना संक्रमण व बिहार सरकार के आदेशानुसार सभी सरकारी कार्यालय में आगंतुकों का प्रवेश वर्जित के आलोक में फिर से विश्वविद्यालय का मुख्य द्वार बंद कर दिया गया। हालांकि सरकार ने मुख्य मार्ग को बंद करने का आदेश नहीं दिया था !
       सरकार ने स्कूल, काॅलेज बंद कर दिए। बिहार सरकार ने कल स्कूल,काॅलेज खोलने का आदेश दे दिया। सरकार ने सरकारी कार्यालय में आगंतुकों का प्रवेश सामान कर दिया है। सो,आज गेट खोल दिया। पिछली बार के भाकपा माले के छात्र संगठन आइसा के आंदोलन की गूंज ही थी जो विश्वविद्यालय प्रशासन को आज गेट खोलना पड़ा। कहीं फिर से जनता के मार्ग को खोलवाने के लिए लाल झंडा वाला आंदोलन का रूख न अपना लें। जैसे पिछली बार हुआ था। विश्वविद्यालय परिसर में कोविड केस शून्य था। परिसर कंटेनमेंट जोन से मुक्त कर दिया गया था। इसकेे बाद विवि के मुख्य द्वार को खोला जा सकता था, लेकिन मुख्य द्वार जानबूझकर बंद रखा गया था। कई माह तक गेट बंद ही था। अंत मे आइसा के निरंतर चले आंदोलन व जनता व समर्थकों के सहयोग से गेट खुला था। 
    यदि संघर्ष जोरदार हो तो उसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देती है।


 जनता की समस्याओं को दूर करना विश्वविद्यालय की मंशा होनी चाहिए ,ना कि उनकी परेशानी बढ़ाना। गेट बंद कर हमेंशा विश्वविद्यालय प्रशासन ने जनता को परेशान ही किया है।