क्या चाहिए!
ये गजल इंसान की चाहत को बयान कर रहा है। इसमें दर्शाया गया है कि हर तरीके से इंसान अपने ही पसंद का शिकार हो जाता है। कुछ शब्दों के मतलब यहाँ लिख दिए गए हैं। लेखक बिस्मिल उपनाम से गजल लिखते हैं। बियाबान - जंगल/ अंजाम - नतीजा/ गिरेबान - कॉलर/ जबान - वादा/ इम्तिहान - परिक्षा

चाँद चाहिए, सितारें चाहिए, आसमान चाहिए।
हर कातिल को मुँह छिपाने को 'बियाबान' चाहिए।
पूरे जहान में नफरत बाँटते हैं कुछ लोग।
फिर भी इंसानियत भूले लोगों को 'इंसान' चाहिए।
ना जाने किस करवट लेटी है जिंदगी अपनी धुन में।
अब मेरी भी कहानी को एक अदद 'अंजाम' चाहिए।
तेरी बुजदिली देख के मर गया है 'बिस्मिल'!
फिर भी हर शख्स को मेरा ही 'गिरेबान' चाहिए।
मेरी तरह वादा तो तू भी कर सकता था साथ देने का।
तुझे जाने की जिद में न भूलने को मेरा ही 'जबान' चाहिए।
दुनियादारी में मुश्किल होता है ईश्क का सफर।
फिर भी तुझे आदतों में ईश्क 'आसान' चाहिए।
हर बार मेरे एहसासों को एक खामोशी तोड़ देती है।
अब किस जिल्लत का तुम्हें 'इम्तिहान' चाहिए!