भारती सुपर हंड्रेड में आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजेता सम्मानित
आइसा सकरा-मुरौल के अध्यक्ष रौशन कुमार ने कहा अम्बेडकर जातीय प्रतीक नहीं, बल्कि विचारों के आधार स्तंभ हैं, भारतीय संविधान अम्बेडकर के विचारों की कुंजी और उनकी प्रतिभा व संघर्षों का दर्पण है, राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ ही वे आर्थिक समानता के भी पैरोकार थे और मानते थे कि आर्थिक समानता के बगैर राजनितिक आजादी भी अधूरी है, इस बात को गंभीरता से आत्मसात करने की जरुरत है वर्ण व्यवस्था आधारित भारतीय समाज में छुआछूत, जाति, धर्म और कर्मकांड के खिलाफ भीमराव अम्बेडकर का वैज्ञानिक दर्शन पर आधारित समाज सुधार और दलित मुक्ति की प्रस्थापना आज भी प्रासंगिक है।

महानायक की याद में शहादत सप्ताह मनाई गई, जो शुरुआत 13 मार्च से 20 मार्च तक चलेगा
आइसा सकरा-मुरौल तत्वावधान में सकरा के भारती सुपर हंड्रेड, में आयोजित की गई। जिसमें प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय विजेता को विभिन्न पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया तथा प्रतियोगिता में शामिल सभी छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति-पत्र से पुरस्कृत किया गया।
आइसा सकरा-मुरौल के अध्यक्ष रौशन कुमार ने कहा अम्बेडकर जातीय प्रतीक नहीं, बल्कि विचारों के आधार स्तंभ हैं, भारतीय संविधान अम्बेडकर के विचारों की कुंजी और उनकी प्रतिभा व संघर्षों का दर्पण है, राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ ही वे आर्थिक समानता के भी पैरोकार थे और मानते थे कि आर्थिक समानता के बगैर राजनितिक आजादी भी अधूरी है, इस बात को गंभीरता से आत्मसात करने की जरुरत है वर्ण व्यवस्था आधारित भारतीय समाज में छुआछूत, जाति, धर्म और कर्मकांड के खिलाफ भीमराव अम्बेडकर का वैज्ञानिक दर्शन पर आधारित समाज सुधार और दलित मुक्ति की प्रस्थापना आज भी प्रासंगिक है।
वहीं दूसरी ओर महंगीफीस व छात्रवृत्ति के अभाव में गरीब छात्र आत्महत्या कर रहे हैं, स्वास्थ्य सुविधा के अभाव के कारण गरीब लोग मर रहे हैं। सस्ती शिक्षा व छात्रवृत्ति के बदौलत गरीब मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे भी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
इस मौके पर भारती सुपर हंड्रेड संस्था के डायरेक्टर, सभी शिक्षक व आइसा नेता धर्मेंद्र कुमार, जितेंद्र कुमार उपस्थित रहे।