दलहनी एवं तेलहनी फसलों का विकल्प बना सोयाबीन:- डा अंबरीश कुमार

डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में सोयाबीन प्रसंस्करण विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुई। जिसकी अध्यक्षता करते हुए कृषि अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी महाविधालय के अधिष्ठाता डा अंब्रिश कुमार ने कहा जलवायु परिवर्तन की दौर में बिहार के किसानों के लिए दलहन एवं तेलहन का विकल्प के रूप में सोयाबीन की खेती लाभकारी है। भारत सरकार के साथ साथ बिहार सरकार भी एफपीओ को मदद करने के लिए अग्रसर रहती है। सोयाबीन प्रसंस्करण कर किसान दुगुनी आमदनी प्राप्त कर सकते है। किसान कुटीर उद्योग के रूप में भी एफपीओ का सृजन कर बेहतर व्यवसाय फलीभूत ........

दलहनी एवं तेलहनी फसलों का विकल्प बना सोयाबीन:- डा अंबरीश कुमार

दलहनी एवं तेलहनी फसलों का विकल्प बना सोयाबीन:- डा अंबरीश कुमार।

 पूसा । डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में सोयाबीन प्रसंस्करण विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुई। जिसकी अध्यक्षता करते हुए कृषि अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी महाविधालय के अधिष्ठाता डा अंब्रिश कुमार ने कहा जलवायु परिवर्तन की दौर में बिहार के किसानों के लिए दलहन एवं तेलहन का विकल्प के रूप में सोयाबीन की खेती लाभकारी है। भारत सरकार के साथ साथ बिहार सरकार भी एफपीओ को मदद करने के लिए अग्रसर रहती है। सोयाबीन प्रसंस्करण कर किसान दुगुनी आमदनी प्राप्त कर सकते है। किसान कुटीर उद्योग के रूप में भी एफपीओ का सृजन कर बेहतर व्यवसाय फलीभूत कर सकते है। सोयाबीन से बरी एवं पनीर सहित दर्जनों उत्पाद बनाकर कुपोषण मिटाने में सहयोगी बन सकते है। सोयाबीन से बने पनीर दूध के पनीर से ज्यादा पौष्टिक होता है। एक राष्ट्रीय सर्वे के अनुसार बिहार के महिलाओं में आयरन की मात्रा अधिकाधिक कमी पाया जाता है। बिहार राज्य के सम्पूर्ण कृषि योग्य भूमि में से 10 प्रतिशत में भी दाल अच्छादित नही होती है। मानव शरीर के लिए खासकर हड्डी एवं मसल्स को मजबूती के लिए दाल की भूमिका महत्वपूर्ण है। आर्थिक दृष्टिकोण से किसानों को टिकाऊ खेती करने की जरूरत है। कृषि को टिकाऊ बनाने के लिए प्रसंस्करण के साथ साथ मूल्य संवर्धन भी जरूरी है। वर्तमान सहित भविष्य में कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए एफपीओ देश के आर्थिक तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण इकाई बन गया है। प्रसार शिक्षा निदेशक डा एम एस कुंडू ने कहा कि सोयाबीन की खेती मध्यप्रदेश में ज्यादातर होती है। सोयाबीन की खेती से किसानों में समृद्धि आ सकती है। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रसार शिक्षा उप निदेशक डा अनुपमा कुमारी ने कहा कि सोयाबीन की खेती कर राज्य के प्रगतिशील महिला किसान बेहतर आमदनी प्राप्त कर सकती है। मौके पर दीपक कुमार, सूरज कुमार आदि मौजूद थे।