जनता की जान की कीमत

जनता की जान की कीमत

मुजफ्फरपुर बेला फेज 2 में मैगी फैक्ट्री में बॉयलर फटने के कारण हुई मौतों के बाद राज्य सरकार और केंद्र सरकार की तरफ से मुआवजे दिए जा रहे हैं जो कि अच्छी बात है। पर मुद्दा यह है कि बॉयलर फटा कैसे? और सुरक्षा साधनों को ताक पर क्यों रखा गया? इससे पहले भी कुछ साल पहले हुई चिप्स फैक्ट्री कांड में भी यही हुआ था। उसमें एक कमेटी का गठन किया गया जिसके द्वारा मात्र जांच करवाई गई और कोई कार्यवाही नहीं हुई । मृत और घायल लोगों को सिर्फ मुआवजे दिए गए थे। लेकिन ऐसा क्यों होता है सवाल यह है कि आखिर बिहार में ऐसा क्यों हो जाता है ? बिना एनओसी बिना लाइसेंस और बिना सुरक्षा संसाधनों के उद्योग कैसे चल जाते हैं ? आखिर बिहार उद्योग विभाग फायर सेफ्टी विभाग इतनी लापरवाह क्यों है कि ऐसी घटना घट जाती है ? क्या समाज के प्रति उनकी कोई जवाबदेही नहीं है ? आखिर क्यों यह लोग पूरी तरह से जांच पड़ताल किए बिना ऐसी फैक्ट्रियों को चलने देते हैं ? ऐसी फैक्ट्रीया बिना किसी सुरक्षा संसाधन की काफी लंबे समय तक चल भी जाती हैं ऐसा क्यों होता है बिहार में ? फिर से बॉयलर कांड हो चुका है फिर कोई कमेटी गठित होगी पर इस बात पर कोई विचार नहीं करेगा कि  आखिर इतनी लापरवाही हुई क्यों ? इतना भ्रष्टाचार क्यों है ? क्या जनता की जान की कोई कीमत नहीं। आप भी विचार करें और हम भी विचार करते हैं ।
                                         दीपक कुमार प्रसाद