भातखण्डे जयन्ती पर राष्ट्रीय संगीत समारोह संगीतांजली आयोजित, देर रात तक झूमते रहा विद्यापति सभागार
रामजी कुमार। समस्तीपुर। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 10 अगस्त (शनिवार) को उत्तर भारतीय संगीत पद्धति एवं स्वरलिपी पद्धति के जनक चतुरा पंडित नाम से विख्यात पंडित विष्णु नारायण भातखंडे की 164 वी जयंती के अवसर पर डाॅ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित विद्यापति सभागार में प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ के सहयोग एवं निर्देशन में राष्ट्रीय शास्त्रीय संगीत समारोह संगीतांजली का आयोजन........
भातखण्डे जयन्ती पर राष्ट्रीय संगीत समारोह संगीतांजली आयोजित, देर रात तक झूमते रहा विद्यापति सभागार
रामजी कुमार।
समस्तीपुर। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 10 अगस्त (शनिवार) को उत्तर भारतीय संगीत पद्धति एवं स्वरलिपी पद्धति के जनक चतुरा पंडित नाम से विख्यात पंडित विष्णु नारायण भातखंडे की 164 वी जयंती के अवसर पर डाॅ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित विद्यापति सभागार में प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ के सहयोग एवं निर्देशन में राष्ट्रीय शास्त्रीय संगीत समारोह संगीतांजली का आयोजन किया गया। इस समारोह में सर्वप्रथम तमाम आगत अतिथियों को प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ के क्षेत्रीय समन्वयक अभिषेक कुमार, सह संयोजक आशा सेवा संस्थान के सचिव अमित कुमार वर्मा, औसेफा निदेशक देव कुमार, ईडेन प्रमुख ब्रज किशोर कुमार, राजम इंडेन के प्रबंध निदेशक अतुल कुमार, शिक्षाविद मिथिलेश कुमार, आदि ने चादर, पट्टा, पाग एवं स्मृति चिन्ह से स्वागत किया। तदुपरांत कार्यक्रम के संयोजक जगमोहन विद्यापति कॉलेज ऑफ आर्ट एंड टेक्नोलॉजी वैनी के सचिव डॉ संजय कुमार राजा ने स्वागत संबोधन एवं विषय प्रवेश कराया और फिर मुख्य अतिथि जिले की प्र्रथम कला संस्कृति एवं युवा कार्यक्रम पदाधिकारी जूही कुमारी, विशिष्ट अतिथि संजय कुमार सिंह, निदेशक आईएआरआई डाॅ केके सिंह, पंडित रामनरेश राय, डाॅ वेदप्रकाश आर्य, पंडित रामवृक्ष सिंह, आदि अतिथियों ने दीप प्रज्वलन एवं उत्तर भारतीय संगीत पद्धति के जनक पंडित विष्णु नारायण भातखंडे एवं पंडित जगमोहन झा के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि एवं रंजन कुमार के तबला संगती में साक्षी ऋतु एवं सहेलियों द्वारा प्रस्तुत गुरू वंदना और के साथ समारोह परवान चढ़ा। सह संयोजक विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ ताल दर्शन मंजरी के रचयिता ताल मर्मज्ञ पंडित राम नरेश राय की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में दरभंगा घराने के राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध बांसुरी वादक डॉ वेद प्रकाश के शिष्य दिल्ली से पधारे केशव कुमार धीरज के गायन, कोलकाता से पधारे रोहन तारा के बांसुरी वादन, कोलकाता से पधारे तबला वादक देवाशीष सिंह राॅय, खगडिया से पधारे सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित गणेश पाल, पटना से पधारे कथक गुरू विजय कुमार मिश्रा एवं उनके शिष्यो के कत्थक और रामचन्द्र गोल्डर के भरतनाट्यम, के अलावा राम बालक निराला, कुशेश्वर दास, आदि ने अपनी प्रस्तुति से ऐसा समां बांधा कि गुजरते वक्त का एहसास भी नहीं हुआ। इसी दरम्यान रामबालक निराला के लहरा पर सुविख्यात पंडित रामनरेश राय के शिष्यों यथा चन्द्रकान्त चैधरी, राम प्रवेश महतो, प्रभात कुमार, सुभाशीष कुमार, उदय कुमार पाठक, अमन कुमार, सत्यम कुमार, नीतेश कुमार द्वारा प्रस्तुत तबला कचहरी के अलावा, रामचन्द्र ठाकुर, रंजन कुमार, तबला संगति से सजी मनोहारी प्रस्तुति ने देर तक श्रोताओं को बांधे रखा। इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ मृत्युंजय कुमार ने आयोजन को अनुपम बताते हुए आयोजक टीम को बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ संजय कुमार ने किया। समारोह की सफलता में पंडित रामवृक्ष सिंह, सुमित कुमार सुमन, संतोष कुमार, सुभाष चंद्र कुमार, अरविंद पाठक, दीपक कुमार, कुमार विकास, चंदन कुमार झा, स्नेहा सुमन, हिमांशु भास्कर, निशांत, सुशान्त, प्रमोद कुमार झा, कुमार रौशन ने अहम भूमिका निभाई। मौके पर अभय कुमार, विभूति कुमार, भवेश कार्यी, सुनील कुमार शाॅ, उमेश ठाकुर, डाॅ गणेश ठाकुर, अरविंद कुमार, रौशन कुमार, पप्पु कुमार, रंजीत कुमार, ध्रुव कुमार पाठक, चित्तरंजन शर्मा, नंदगोपाल ठाकुर, मिथिला सेवी पीके झा प्रेम, प्रेम कुमार झा, अरविंद कुमार, एसके निराला, सहित कई लोग मौजूद थे।