एईएस / जेई नियंत्रणार्थ स्वास्थ्य कर्मियों का हुआ एकदिवसीय प्रशिक्षण

बेतिया, 13 अप्रैल। जिले  में लगातार बढ़ रहे तापमान के कारण एईएस/जेई (चमकी) का खतरा बना हुआ है। ऐसे में इसके प्रभाव से बचाव के लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला स्तर पर लगातार तैयारियां की जा रही  हैं ।  ये बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार ने बतायी  है। उन्होंने कहा कि चमकी से प्रभावित बच्चे को तुरन्त इलाज करना जरूरी होता है। इसी उद्देश्य के तहत जिले के सभी 18 प्रखंडों के बीसीएम, बीएचएम, सीएचओ व अन्य स्वास्थ्य कर्मीयों का माध्यमिक शिक्षक संघ भवन में एक दिवसीय प्रशिक्षण कराया गया। प्रशिक्षण के दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी  ..................

एईएस / जेई नियंत्रणार्थ स्वास्थ्य कर्मियों का हुआ एकदिवसीय प्रशिक्षण

एईएस/जेई से प्रभावित मरीजों का तुरन्त इलाज जरूरी- डॉ हरेन्द्र कुमार 

-एईएस/जेई नियंत्रणार्थ स्वास्थ्य कर्मियों का हुआ एकदिवसीय प्रशिक्षण
- जिले के सभी प्रखंडों के बीसीएम, बीएचएम, सीएचओ व अन्य स्वास्थ्य कर्मी  प्रशिक्षण में हुए शामिल

बेतिया, 13 अप्रैल। जिले  में लगातार बढ़ रहे तापमान के कारण एईएस/जेई (चमकी) का खतरा बना हुआ है। ऐसे में इसके प्रभाव से बचाव के लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला स्तर पर लगातार तैयारियां की जा रही  हैं ।  ये बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार ने बतायी  है। उन्होंने कहा कि चमकी से प्रभावित बच्चे को तुरन्त इलाज करना जरूरी होता है। इसी उद्देश्य के तहत जिले के सभी 18 प्रखंडों के बीसीएम, बीएचएम, सीएचओ व अन्य स्वास्थ्य कर्मीयों का माध्यमिक शिक्षक संघ भवन में एक दिवसीय प्रशिक्षण कराया गया। प्रशिक्षण के दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी  एवं जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अवधेश कुमार सिंह ने चमकी से बचाव के कई महत्वपूर्ण बातें बताई। उन्होंने अति गंभीर बीमारी एईएस/जेई से प्रभावित बच्चों के  उचित प्रबंधन एवं पीकू /एईएस वार्ड में भर्ती कर इलाज सुनिश्चित करने को लेकर सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर लगातार चमकी प्रभावित मरीजों के इलाज हेतु चिकित्सकों की उपस्थिति के साथ ही समुचित दवाओं की व्यवस्था उपलब्ध होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि चमकी के मरीजों को तभी रेफर किया जाए जब तक कि उसके स्वास्थ्य को स्थिर न किया जाए। डॉ हरेन्द्र कुमार ने बताया कि  चमकी किसी एक बीमारी का नाम नहीं बल्कि यह कई अलग तरह की बीमारियों का  समावेश है। जिसमें मिर्गी या चमकी आना आम है। वहीं इस बीमारी में ग्लूकोज के लेवल की कमी भी सबसे ज्यादा देखी जाती है।

ओझा-गुणी के चक्कर में समय न करें व्यर्थ:

सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे ने कहा कि चमकी के बारे में लोगों में जागरूकता बेहद जरूरी है। क्योंकि लोग चमकी के हो जाने पर ओझा-गुणी से झाड़ फूंक में पड़कर अपना समय बर्बाद करते हैं।  इससे इलाज में मुश्किलें बढ़ जाती हैं। उन्होंने बताया कि चमकी होने पर सरकारी एम्बुलेंस से या प्राइवेट वाहन से सीधे नजदीकी सरकारी अस्पताल पहुंचे व बिल्कुल भी देरी न करें।

चमकी से बचाव के उपाय:

भीबीडीएस प्रकाश कुमार एवं अरुण कुमार ने बताया कि चमकी  से बचाव के लिये अभिभावक अपने बच्चे को धूप से बचाएं। रात को किसी भी हालत में भूखे नहीं सोने दें। दिन में एक बार ओआरएस घोल  जरूर पिलाएं। बच्चे को कच्चा लीची नहीं खाने दें। बच्चा अगर घर में भी है तो घर की खिड़की व दरवाजा बंद नहीं करें। हवादार रहने दें। साफ सफाई पर ध्यान दें। अपने क्षेत्र की आशा,चिकित्सकों व नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र के नम्बर अपने पास रखें।
मौके पर सीएस डॉ श्रीकांत दुबे, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी हरेन्द्र कुमार, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अवधेश कुमार सिंह, भीबीडीएस प्रकाश कुमार एवं अरुण कुमार व अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे।