भगवान श्रीराम की स्मृति को समर्पित है रामनवमी 

भगवान श्रीराम की स्मृति को समर्पित है रामनवमी 

भगवान श्रीराम की स्मृति को समर्पित है रामनवमी


मोतिहारी।पु0च0
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मोत्सव का पर्व श्रीरामनवमी बुधवार को सर्वत्र अपनी-अपनी परम्परा के अनुसार मनाया जाएगा। गोस्वामी तुलसीदास जी ने इसी दिन से श्रीरामचरितमानस की रचना आरंभ की थी,अतः इसके उपलक्ष्य में श्रीरामचरितमानस की जयंती भी मनायी जाएगी । भारतीय जीवन में यह दिन अत्यंत पुण्यफलदायक माना जाता है।उक्त जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी।उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में सरयू नदी के तट पर बसी अयोध्या नगरी में चैत्र शुक्ल नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में जब सूर्य अन्यान्य पाँच ग्रहों की शुभ दृष्टि के साथ मेष राशि पर विराजमान थे,तभी साक्षात् भगवान विष्णु ने राम के रूप में अयोध्या के राजा दशरथ तथा माता कौशल्या के यहाँ पुत्र के रूप में अवतार लिया। चैत्र शुक्ल नवमी को राम के जन्मदिन की स्मृति में मनाया जाता है,इसी कारण चैत्र शुक्ल नवमी को रामनवमी कहा जाता है।रामनवमी भगवान श्रीराम की स्मृति को समर्पित है। राम सदाचार के प्रतीक हैं,और इन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।  राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है,जो पृथ्वी पर अजेय रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुनः स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने मृत्युलोक में श्रीराम के रूप में अवतार लिया था।प्राचार्य ने कहा कि भगवान श्रीराम की गुरु सेवा,जाति-पाति के भेदभाव को मिटाना,शरणागत की रक्षा,भ्रातृ प्रेम,मातृ-पितृ भक्ति,पत्नी व्रत,पवनसुत हनुमान एवं अंगद की स्वामी भक्ति,गिद्धराज की कर्त्तव्यनिष्ठा आदि की महानता को सम्पूर्ण मानव जाति को अपनाना चाहिए।रामनवमी का व्रत एवं पूजन शुद्ध और सात्विक रूप से भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत का पालन कर श्रीराम जी का पूजन,भजन,कीर्तन आदि करने का विधान है। रामनवमी का व्रत समस्त पापों का नाश करने वाला तथा मनोवांछित फलों को प्रदान करने वाला होता है।