समस्तीपुर : न सम्मन न वारंट, 31 साल पुराने अज्ञात मामले में संपादक आरके राय गिरफ्तार, 7 घंटे बाद छोड दिया, आईरा ने की गिरफ्तारी के अंदाज की निंदा

रामजी कुमार।  समस्तीपुर। न सम्मन न वारंट, सीधे गिरफ्तारी इतनी चुस्त है हमारे समस्तीपुर की पुलिस। वास्तविक अपराधियों चोरों और माफियाओं को गिरफ्तार करने में पुलिस के भले ही पसीने छूट जाते हों, मगर अवसर मिलते ही शरीफ लोगों पर अपनी वर्दी का पावर दिखाने से वह नहीं चूकती। ऐसा जान पड़ता है वर्दी ज......

समस्तीपुर : न सम्मन न वारंट, 31 साल पुराने अज्ञात मामले में संपादक आरके राय गिरफ्तार, 7 घंटे बाद छोड दिया, आईरा ने की गिरफ्तारी के अंदाज की निंदा

न सम्मन न वारंट, 31 साल पुराने अज्ञात मामले में संपादक आरके राय गिरफ्तार, 7 घंटे बाद छोड दिया, आईरा ने की गिरफ्तारी के अंदाज की निंदा

रामजी कुमार। 

समस्तीपुर। न सम्मन न वारंट, सीधे गिरफ्तारी इतनी चुस्त है हमारे समस्तीपुर की पुलिस। वास्तविक अपराधियों चोरों और माफियाओं को गिरफ्तार करने में पुलिस के भले ही पसीने छूट जाते हों, मगर अवसर मिलते ही शरीफ लोगों पर अपनी वर्दी का पावर दिखाने से वह नहीं चूकती। ऐसा जान पड़ता है वर्दी जनता की सेवा के लिए मिला है इसका तो इन्हें एहसास ही नहीं। इसका एक मंजर दिखा शुक्रवार की देर रात। जब मुफस्स्लि थानाध्यक्ष पिंकी प्रसाद अपराधियों की तरह चेहरा ढक कर शुक्रवार उपरांत शनिवार की रात करीब 1 बजे साम्यवादी विचारधारा के समर्थक, यूएनआई के भूतपूर्व संवाददाता और राष्ट्रीय पत्रिका के संपादक सह प्रकाशक राजकुमार राय के आवास पर पहुंची और जोर-जोर से दरवाजा पीटने लगी। पूछे जाने पर न नाम बताया, न परिचय पत्र दिखाया और कहा कि एसपी साहब बुला रहे हैं, कुछ पूछताछ करनी है। जब श्री राय व उनके परिजनों ने कारण पूछा तो कुछ भी नहीं बताते हुए उन्हें धोखे से गाडी में बैठा लिया और थाने पर बिठा कर आती हूं कह कर गई तो गई रह गई। वहां जा कर मालूम हुआ यह गिरफ्तारी 31 साल पुराने मानहानी के उस मामले में की गई है जिसके बारे में न श्री राय को पता है न हीं इस बाबत उन्हें कोई सूचना या सम्मन मिला है। आज तक उन्हें मामले की जानकारी मिलने पर विधायक व सांसदों के दवाब में एएसपी संजय पाण्डेय व अनुमंडल पदाधिकारी की पहल पर श्री राय घर तो आ गये मगर इस गिरफ्तारी ने प्रशासनिक पदाधिकारियों की मौका परस्ती की पोल जरूर खुल गयी। वहीं एक पुलिस पदाधिकारी ने बताया कि नये डीआईजी के निर्देशानुसार सभी लंबित वारंट को खत्म करने का सभी पुलिस पदाधिकारियों पर उपरी दवाब है, जिस कारण उक्त घटना हो गई। इस प्रकरण पर कडी प्रतिक्रिया देते हुए आईरा इंटर नेशनल रिपोर्टर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डाॅ संजय कुमार राजा ने कहा कि विभिन्न मामलों में व अपनी गलतियों को छुपाने केलिए तथा अपनी सफलता को प्रमुखता से प्रकाशित करने केलिए मीडिया कर्मियों से सहयोग की गुहार लगाने व गिरगिराने वाले ये पदाधिकारी पलक झपकते ही अपने तेवर बदल लेते हैं। यह बेशक निंदनीय है कि संगीन मामलों में रसूखदार अपराधियों को कार्रवाई की पुर्व सूचना देकर भगा देने वाली ये पुलिस कर्मी किसी शरीफ आदमी और पत्रकार के मामले में सारी औपचारिकता तो छोडिए मामूली शिष्टाचार भी भूल जाती है। श्री राजा ने कहा कि पत्रकारों के मान सम्मान केलिए इस मामले में कागजी प्रक्रिया के बाद मजबूत कदम उठाने केलिए आईरा प्रतिबद्ध है।