सीतामढी :- बीपीएससी की शिक्षक भर्ती परीक्षा में 11625 परीक्षार्थी हुए शामिल

जिले के 25 केन्द्रों पर गुरुवार को कड़ी प्रशासनिक चौकसी के बीच बिहार लोक सेवा आयोग की अध्यापक भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा शांतिपूर्वक आयोजित हुई। पहले दिन दोनों पाली में आयोजित बीपीएससी .........

सीतामढी :- बीपीएससी की शिक्षक भर्ती परीक्षा में 11625 परीक्षार्थी हुए शामिल

-- कड़ी चौकसी के बीच पहले दिन 25 केन्द्रों शांतिपूर्वक आयोजित हुई परीक्षा

सागर कुमार, चम्पारण टुडे, सीसीतामढ़ी ब्यूरो"

सीतामढ़ी :- जिले के 25 केन्द्रों पर गुरुवार को कड़ी प्रशासनिक चौकसी के बीच बिहार लोक सेवा आयोग की अध्यापक भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा शांतिपूर्वक आयोजित हुई।

पहले दिन दोनों पाली में आयोजित बीपीएससी की अध्यापक भर्ती परीक्षा में विभिन्न केन्द्रों पर 4410 परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी। डीईओ प्रमोद कुमार साहू द्वारा जारी केन्द्राधीक्षकों से प्राप्त खैरित रिपोर्ट के अनुसार जिले में दोनों पाली मेंं कुल निर्धारित 16,035 परीक्षार्थियों में 11,625 परीक्षार्थी शामिल हुए। प्रथम पाली में कुल निर्धारित 10,991 परीक्षार्थी के जगह 6934 परीक्षार्थी उपस्थित हुए। जबकि 4057 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। इसी तरह द्वितीय पाली में 13 केन्द्रों आयोजित परीक्षा में कुल निर्धारित 5044 परीक्षार्थियों में 4691 उपस्थित हुए। वहीं 353 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। प्रथम पाली में सभी 25 केन्द्रों पर पुरुष परीक्षार्थी तथा द्वितीय पाली में सभी 13 केन्द्रों पर केवल महिला परीक्षार्थी शामिल हुए।

 सुबह दस बजे से शुरु होने वाली प्रथम पाली की परीक्षा को लेकर गुरुवार को प्राय: केन्द्रों पर अहले सुबह से ही परीक्षार्थियों के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया था। प्रथम पाली में परीक्षार्थियों को सुबह 7:30 बजे ही बुलाया गया था। नौ बजे तक ही प्रवेश दी गई। सुबह में हो रही बारिश का परवाह किये बिना परीक्षार्थी व कतारबद्ध दिखे। एमपी हाईस्कूल, कमला गर्ल्स हाईस्कूल, लक्ष्मी हाईस्कूल, मथुरा हाईस्कूल समेत विभिन्न केन्द्रों के निकट परीक्षार्थियों व उनके अभिभावकों को भीड़ जुटी थी। नौ बजते ही केन्द्र का मेन गेट बंद कर दिया गया। 10 से 12 बजे तक प्रथम पाली की परीक्षा चली। प्रथम पाली में एमपी हाईस्कूल केन्द्र से परीक्षा देकर बाहर निकले परीक्षार्थियों ने बताया कि करंट अफेयर्स, पॉलिटिकल सांइस, हिस्ट्री से पूछे गये ज्यादातर सवाल इजी था। जबकि मैथ, साइंस के सवाल उलझे हुए व कठिन था। परीक्षार्थियों ने बताया कि गेस व गाइड से तैयारी करने वालों के लिए साइंस का सवाल कठिन था। जबकि एनसीईआरटी की किताब से गहन अध्ययन करने वालों के लिए सवाल कोई खास कठिन नहीं था। वहीं द्वितीय पाली की परीक्षा देकर निकली दि छात्राओं 

ने बताया कि मैथ का सवाल कठिन था। 

एडमिट कार्ड व पहचान पत्र से परीक्षार्थियों का किया गया मिलान-- बीपीएससी की शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों की सघन तलाशी लेकर अंदर प्रवेश करने दिया गया। सभी केन्द्रों के मेन गेट पर परीक्षार्थियों के एडमिट कार्ड व फोटो पहचान पत्र से मिलान कर कड़ी सुरक्षा जांच के बाद अंदर प्रवेश दिया गया। केन्द्रों पर तैनात दंडाधिकारियों व पुलिस अधिकारियों ने गेट पर प्रत्येक परीक्षार्थियों की सघन तलाशी ली। द्वितीय पाली में महिला परीक्षार्थियों की फ्रिक्सिंग के लिए केन्द्रों पर महिला दंडाधिकारी, महिला पुलिस अधिकारी की तैनाती की गई थी।

जिला प्रशासन द्वारा बीपीएससी की गाइडलाइन के अनुसार केन्द्रों पर लगाए गये प्रतिबंध के कारण परीक्षार्थी मोबाइल फोन, घड़ी समेत किसी भी प्रकार के प्रतिबंधित इलेक्ट्रॉनिक समान के साथ अंदर प्रवेश नहीं कर सके। केन्द्र पर तैनात सुरक्षा कर्मी व दंडाधिकारी द्वारा प्रतिबंधित सामग्री को बाहर निकलवाने के बाद ही परीक्षार्थियों को अंदर प्रवेश करने दिया गया।

केन्द्रों पर जैमर लगाकर इंटरनेट सेवा को अवरुद्ध किया गया था। प्रत्येक केन्द्रों पर प्रत्येक कक्ष में जैमर व सीसीटीवी कैमरा लगाए गये थे। वहीं केन्द्रोंं पर दंडाधिकारी के साथ पर्याप्त संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई थी वही भ्रमणशील दंडाधिकारी व उड़न दस्ता दल परीक्षा के दौरान केन्द्रों का भ्रमण कर विधि व्यवस्था का जायजा लेते रहे। इसके अलावा जोनल व स्टैटिक मजिस्ट्रेट भी लगातार केन्द्रों का निरीक्षण कर स्वच्छ व शांतिपूर्ण वातावरण में परीक्षा संचालित कराने में लगे रहे।

परीक्षा स्वच्छ व शांतिपूर्ण वातावरण में संचालित कराने के लिए कलेक्ट्रेट व डीईओ कार्यालय में स्थापित नियंत्रण कक्ष के अधिकारी परीक्षा संचालन व्यवस्था की जानकारी लेने में जुटे रहे। नियंत्रण कक्ष में मौजूद अधिकारी केन्द्राधीक्षकों से संपर्क कर परीक्षा संचालन व्यवस्था की जानकारी लेकर आश्वयक गाइडलाइन दे रहे थे। हालांकि केन्द्रों पर मोबाइल सेवा को प्रतिबंधित किये जाने के कारण नियंत्रण कक्ष को संवाद का आदान-प्रदान में समय का इंतजार करना पड़ रहा था।