सीतामढी :- पीताम्बरा प्रतिष्ठान में बंगलामुखी जयंती पर हुआ भव्य आयोजन

सीतामढी :- पीताम्बरा प्रतिष्ठान में बंगलामुखी जयंती पर हुआ भव्य आयोजन

सागर कुमार,,सीतामढी,,

सीतामढ़ी :- बगलामुखी जयन्ती पर जिला मुख्यालय के नारायणपुर स्थित पीताम्बरा प्रतिष्ठान में भव्य पूजा का आयोजन तांत्रिक लक्ष्मण चौबे के द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा पूजा अर्चना की गई। तांत्रिक लक्ष्मण चौबे ने बताया कि भगवान शिव द्वारा प्रकट की गई दस महाविद्याओं में प्रमुख आठवीं महाविद्या माँ 'बगलामुखी' का प्राकट्य वैशाख शुक्ल अष्टमी के मध्यरात्रि मे हुआ था। बगलामुखी की मंत्र उपास संसार में दुर्लभ है । आज के दिन मध्य रात्रि में माँ की आराधना का बहुत फल मिलता है। जो लोग अनेकों समस्याओं, कष्टों एवं संघर्षों से लड़कर हताश हों चुके हों, या जिनके जीवन में निराशा ने डेरा डाल रखा है शत्रु से भय है तो उन्हें माँ बगलामुखी की साधना करनी चाहिए। ऐसे साधकों को सफलता देने के लिए माँ बगलामुखी प्रतिक्षण तत्पर रहती हैं। ये अपने भक्तों के अशुभ समय का निवारण कर जीवन की सभी खुशियां देकर नई चेतना का संचार करती है। इनकी कृपा से साधक का जीवन हर प्रकार की बाधाओं से मुक्त हो जाता है। माँ बगलामुखी स्तमभन शक्ति की देवी है अर्थात् यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती है । माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है माँ को पीला रंगअति प्रिय है इसलिए इनके पूजन मे पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज़्यादा होता है देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अतः साधक को इनकी आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिये ।अपने शत्रुओं को परास्त करने के लिये संकल्प के साथ अनुष्टान रूप में करने से अपनी संकल्प सिद्धि मिलती हैं। इनके प्रकट होने की कथा है कि एक बार सतयुग में महाविनाशक तूफान से सृष्टि नष्ट होने लगी। चारों ओर हाहाकार मच गया। यह महाविनाशक तूफान सब कुछ नष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देखकर भगवान विष्णु चिंतित हो शिव को स्मरण करने लगे। शिव ने कहा कि शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अतः आप शक्ति का ध्यान करें। विष्णु जी ने 'महात्रिपुरसुंदरी' को ध्यान द्वारा प्रसन्न किया, देवी विष्णु जी की साधना से प्रसन्न होकर सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती हुई पीत की देवी प्रकट हुई और अपनी शक्ति के द्वारा उस महाविनाशक तूफ़ान को स्तमभन कर दिया ।तब सृष्टि का विनाश रुका। माँ बगलामुखी का साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाये तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है ।बगलामुखी मंत्र जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवस्य करनी चाहिये ।माँ बगलामुखी का 36 अक्षरों वाला यह मंत्र-"ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा"।शत्रुओं का सर्वनाश कर अपने साधक को विजयश्री दिलाकर चिंता मुक्त कर देता है। मंत्र का जप करते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखें, पीले वस्त्र पीले आसन और हल्दी की माला का ही प्रयोग करना चाहिए।मौके पर कौशल चौबे,फूलबाबू, राहुल शास्त्री,शंकर तिवारी, जगनाथ कुशवाहा,सुरेन्दर कुमार समेत दर्जनों श्रद्धालु मौजदू थे।