सीतामढ़ी :- पुपरी प्रखंड के हरिहरपुर गांव में सरसों की वैज्ञानिक खेती के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
सागर कुमार, चम्पारण टुडे, सीतामढ़ी ब्यूरो सीतामढ़ी(पुपरी) :- कृषि विज्ञान केंद्र सीतामढ़ी के द्वारा प्रखंड पुपरी के हरिहरपुर गांव में संकुल प्रथम पंक्ति प्रत्यक्षण तेलहन योजना अंतर्गत सरसों की वैज्ञानिक खेती के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ राम......

सागर कुमार, चम्पारण टुडे, सीतामढ़ी ब्यूरो
सीतामढ़ी(पुपरी) :- कृषि विज्ञान केंद्र सीतामढ़ी के द्वारा प्रखंड पुपरी के हरिहरपुर गांव में संकुल प्रथम पंक्ति प्रत्यक्षण तेलहन योजना अंतर्गत सरसों की वैज्ञानिक खेती के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ राम ईश्वर प्रसाद ने दीप प्रज्वलित कर किया।वरीय एवं प्रधान वैज्ञानिक ने किसानों को बताया कि अब सरसों के फसल की क्षेत्रफल को बढ़ाने की जरूरत है।
आजकल खाने के लिए सरसों का शुद्ध तेल उपलब्ध नहीं हो पाता है।सीतामढ़ी जिला सरसों की खेती के लिए काफी उपयुक्त है। सरसों में संतुलित पोषक तत्व प्रयोग नहीं करने से उत्पादन प्रभावित होता है। इसलिए किसान बुआई करने से पहले मीट्टी जांच कराकर फसल की बुआई करें जिससे इसका उत्पादन बढ़ेगा। सरसों में मुख्य रूप से सल्फर का प्रयोग करने पर तेल की मात्रा में बढ़ोतरी होगी। सरसों में रसायनिक उर्वरक के साथ साथ जैव उर्वरक प्रयोग करना अति आवश्यक है।
जैव उर्वरक के रूप में पीएसबी,एजोटोबैक्टर प्रयोग करने से उत्पादन में बीस प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है। पशुपालन वैज्ञानिक डॉ किंकर कुमार एवं वैज्ञानिक सच्चिदानंद प्रसाद ने बताया कि सरसों का फसल बुआई के लिए दो किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। बुआई पूर्व बीज उपचार में दो ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से प्रयोग करें। इससे सरसों के फसल में बिमारी नहीं आती है।
बुआई के तुरंत बाद खर पतवार न हो इसके लिए पेन्डीमेथालीन तीस ईसी पांच एमएलए प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना है। बुआई के समय खाद एवं उर्वरक के रूप में पांच किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट एक किलोग्राम यूरिया,एक किलोग्राम पोटास,आधा किलोग्राम सल्फर प्रति कठ्ठा की दर से प्रयोग करें।उद्यान वैज्ञानिक मनोहर पंजीकार एवं गृह वैज्ञानिक डॉ सलोनी चौहान ने कहा कि सरसों के फसल में भी दो दो बार सींचाई करना जरूरी होता है।पहला पटवन फूल आने के पहले एवं दूसरा फली आने के पहले कराएं।
पहली सींचाई के बाद डेढ़ किलो प्रति कठ्ठा यूरिया का छिड़काव करना है। अच्छे तरह से विकास होने के लिए यूमिक एसीड प्रति लीटर पानी में एक एमएल की दर से प्रयोग करें। अगर लाही दिखाई पड़े तो तुरंत इमीडाक्लोरोपीड 17.8 प्रतिशत का एक एमएल प्रति दो लीटर पानी के साथ छिड़काव कर दें।
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