सीतामढ़ी :- कृषि विज्ञान केन्द्र सीतामढ़ी में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत मिश्रित मत्स्य पालन प्रशिक्षण की हुई शुरुआत

सागर कुमार, चम्पारण टुडे, सीतामढ़ी ब्यूरो  सीतामढ़ी(पुपरी) :- कृषि विज्ञान केन्द्र सीतामढ़ी में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत मिश्रित मत्स्य पालन प्रशिक्षण की शुरुआत की गई।नोडल पदाधिकारी डॉ किंकर कुमार ने दीप प्रज्वलित कर इस प्रशिक्षण का शुभारंभ किया।  इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मत्स्यकी विकास बोर्ड हैदराबाद प्रायोजित यह कार्यक्रम कृषि विज्ञान केन्द्र सीतामढ़ी में शुरू किया गया है ताकि इस जिले में मत्स्य पालन से बेहतर.....

सीतामढ़ी :- कृषि विज्ञान केन्द्र सीतामढ़ी में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत मिश्रित मत्स्य पालन प्रशिक्षण की हुई शुरुआत

सागर कुमार, चम्पारण टुडे, सीतामढ़ी ब्यूरो 

सीतामढ़ी(पुपरी) :- कृषि विज्ञान केन्द्र सीतामढ़ी में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत मिश्रित मत्स्य पालन प्रशिक्षण की शुरुआत की गई।नोडल पदाधिकारी डॉ किंकर कुमार ने दीप प्रज्वलित कर इस प्रशिक्षण का शुभारंभ किया। 

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मत्स्यकी विकास बोर्ड हैदराबाद प्रायोजित यह कार्यक्रम कृषि विज्ञान केन्द्र सीतामढ़ी में शुरू किया गया है ताकि इस जिले में मत्स्य पालन से बेहतर आमदनी प्राप्त किया जा सके। उद्यान वैज्ञानिक मनोहर पंजीकार एवं गृह वैज्ञानिक डॉ सलोनी चौहान ने बताया कि बेहतर मछली पालन हेतु जल की गुणवत्ता,भोजन प्रबंधन, नस्ल प्रबंधन, रोग प्रबंधन की जानकारी काफ़ी जरूरी होता है। तालाब के जल की जाँच ही काफ़ी आवश्यक है। तालाब में मछलियों का उत्पादन कई लेयर में किया जाता है जिसके लिए अलग अलग प्रजातियों का चयन किया जाता है। इस विधि से मछली का उत्पादन दो से तीन गुना बढ़ जाता है। स्वास्थ्य के लिए मत्स्य का सेवन बेहतर माना गया है। इसमें प्रोटीन की मात्रा काफ़ी होती है साथ ही अन्य पोषक तत्व भी पाया जाता है।कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ पीनाकी रॉय ने बताया कि सीतामढ़ी जिले की भौगोलिक स्थिति मत्स्य पालन के लिए बेहतर है। इसलिए मत्स्य पलकों को वैज्ञानिक तकनीक से मछली पालन करना होगा। मछलियों को संतुलित भोजन के रूप में नियमित अंतराल पर गोबर, यूरिया,खल्ली इत्यादि देना होता है। जल की जाँच भी आवश्यक है ताकि पी एच का मान संतुलित रहे अन्यथा मछली की मौत भी हो सकती है।