सुगौली: सरकारी कल्याणकारी योजनाएं एवं विधिक सेवा प्राधिकार से मिलने वाली लाभ के बारे में ग्रामीणों को दी गईं विधिक जानकारी
अमरुल आलम की रिपोर्ट सुगौली, पू.च: प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों मे पारा विधिक स्वयंसेवक अवधेश कुमार गुप्ता के द्वारा विधिक जागरूकता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के अवसर पर लोगों की जागरूक करते हुए पीएलवी अवधेश कुमार गुप्ता ने बताया कि इस जागरूकता अभियान का मुख्य मकसद लोगों को......

अमरुल आलम की रिपोर्ट सुगौली, पू.च: प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों मे पारा विधिक स्वयंसेवक अवधेश कुमार गुप्ता के द्वारा विधिक जागरूकता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के अवसर पर लोगों की जागरूक करते हुए पीएलवी अवधेश कुमार गुप्ता ने बताया कि इस जागरूकता अभियान का मुख्य मकसद लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकार से मिलने वाली लाभ से ग्रामीणों को अवगत कराना है।
प्राधिकार के विशेषता के संबंध में उन्होंने बताया कि प्राधिकार, निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान कराता हैं, प्राधिकार में सरकारी खर्च पर जरूरतमंदों को वकील मुहैया कराए जाते हैं, मुकदमों की कोर्ट फीस माफ की जाती हैं। न्यायालय के समक्ष विचाराधीन मामलों में कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाती हैं। तेजाब पीड़ित, बलात्कार पीड़ित, मानव व्यापार, अपहरण के पीड़ित महिला व बच्चों को मुवावजा पुनर्वास हेतु प्रतिकर दिया जाता है। वही आगामी लगने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत के संबंध में पीएलवी गुप्ता ने कहा कि देश का कोई भी नागरिक, समय समय पर लगने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत में अपने सुलहनिये वादों का निस्तारण आपसी सहमति व सद्भभाव से करा सकते हैं।
लोक अदालत की विशेषताओं के बारे में उन्होंने बताया कि लोक अदालत एक ऐसा मंच या फोरम हैं जहाँ मामलों का सौहार्द्रपूर्ण तरीके से निपटारा किया जाता है। यह सामान्य न्यायालयों से अलग होता है, क्योंकि यहाँ विवादित पक्षों के बीच परस्पर समझौते के माध्यम से विवादों का समाधान किया जाता है। उन्होंने बताया कि अगर आप न्याय पाने के लिए मुकदमा लड़ना चाहते हैं और आपके पास इसके लिए पैसे नहीं है, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि अगर कोई गरीब, असहाय व्यक्ति न्याय पाने के लिए मुकदमा लड़ना चाहते हैं, तो वे जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव महोदय को, एक प्रार्थना पत्र देकर फ्री एडवोकेट यानी वकील की सेवा ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि लोक अदालतों में किसी भी प्रकार की कोर्ट फीस नहीं लगती। यदि न्यायालय में लंबित मुकदमे में कोर्ट फीस जमा करा दी गई हो तो लोक अदालत में विवाद का निपटारा हो जाने पर वह फीस वापस कर दी जाती है। इसमें दोनों पक्षकार न्यायाधीश के साथ, स्वयं अथवा अधिवक्ता के माध्यम से बात कर सकते हैं, जो कि नियमित अदालत में संभव नहीं होता है। उन्होंने बताया कि लोक अदालतों द्वारा ज़ारी किया गया अवार्ड (पंचाट) दोनों पक्षों के लिये बाध्यकारी होता है, इसके विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों का सबसे बड़ा गुण निःशुल्क तथा त्वरित न्याय है।
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