वैशाली : धनुषी एचडब्ल्यूसी के एनक्यूएएस पर सुप्रिया ने चढ़ाई प्रत्यंच

वैशाली। कभी धनुषी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की पहचान सिर्फ गांव और गांव वालों तक ही सीमित थी। जून 2024 में मिले इसे राज्य स्तरीय एनक्यूएएस सर्टिफिकेट ने इसे राज्य के कुछ चुनिंदा एचडब्ल्यूसी में स्थान दिलाया है,जिसने सेवा प्रदाता के तौर पर बेहतरीन काम किया है। कभी प्राथमिक.......

वैशाली : धनुषी एचडब्ल्यूसी के एनक्यूएएस पर सुप्रिया ने चढ़ाई प्रत्यंच

-एक कमरे के हेल्थ सब सेंटर को बनाया राज्य स्तरीय 
-अपने पैसों से लगाया था फ्लेक्स और पर्दा 

वैशाली। कभी धनुषी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की पहचान सिर्फ गांव और गांव वालों तक ही सीमित थी। जून 2024 में मिले इसे राज्य स्तरीय एनक्यूएएस सर्टिफिकेट ने इसे राज्य के कुछ चुनिंदा एचडब्ल्यूसी में स्थान दिलाया है,जिसने सेवा प्रदाता के तौर पर बेहतरीन काम किया है। कभी प्राथमिक और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गांव के लोग लालगंज रेफरल अस्पताल या हाजीपुर पर ही निर्भर थे। ऐसे में दिसंबर 2022 में कम्युनिटी हेल्थ आफिसर सुप्रिया कुमारी के आने के दो वर्ष बाद धनुषी एचडब्ल्यूसी को राज्य स्तरीय नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त होना किसी चमत्कार से कम नहीं था। इस परिवर्तन के पीछे सुप्रिया की कर्मठता और कुछ अच्छे की चाह थी। कभी ओपीडी के लिए लोगों की राह टोहते इस एचडब्ल्यूसी पर कुल 12 तरह की सेवाएं मिलती है। गांव वालों के अनुसार टेलीमेडिसिन, एनसीडी स्क्रीनिंग और जनरल ओपीडी यहां की उत्कृष्ट सेवाएं है। 155 तरह की दवाएं और 14 तरह की जांच भी होती है। यहां नियमित रूप से एक योग शिक्षक भी हैं जो प्रतिदिन योगाभ्यास भी कराते हैं। 

अपने पैसों से सेंटर की ब्रांडिग:

सुप्रिया कहती हैं कि वे जब यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 2022 में धनुषी में पदस्थापित हुई थीं, तब यहां हेल्थ सब सेंटर के नाम पर एक कमरा था। बाकी कमरे गंदे और अव्यवस्थित थे। मैंने अपने पैसे खर्च कर कमरों को साफ कराया। पर्दे लगाए। कुछ फ्लैक्स भी छपवाए। इसके बाद अगल बगल के घरों से कुर्सी मांग केंद्र में बैठने लगी। गांव वालों ने देखा तो वह केंद्र आने लगे। मैंने उन लोगों की टीबी और एनसीडी की स्क्रीनिंग करने लगी और पीएचसी भेजने लगी। इसी क्रम में मैंने पंचायत और मुखिया से एचडब्ल्यूसी के बेहतर इंफ्रा के लिए बातें की। इसके बाद पंचायत के मद से यहां के इंफ्रा का कुछ विकास हुआ। अब तक सेंटर पर बुनियादी सुविधाएं बेहतर हो चुकी थी। इसी क्रम में मैं खुद पीएचसी जाकर दवाएं लाती थी और ओपीडी भी रेगुलर करने लगी। 

बौद्ध भिक्षुओं के रुकने पर अधिकारियों की पड़ी नजर:
 
सुप्रिया कहती हैं कि वैशाली स्तूप जाने के क्रम में कुछ बौद्ध भिक्षु एचडब्ल्यूसी के बगल में स्थित धर्मशाला में रातभर रूके। उनके इस विजिट ने धनुषी एचडब्ल्यूसी पर अधिकारियों की नजर पड़ी। बातचीत में मैंने समस्याओं को रखा। जन आरोग्य समिति का गठन हुआ। उनके पैसों से इंफ्रा, उपकरण, सामुदायिक बैठक, हेल्थ कैंप और रजिस्टरों का संधारण करने लगी। कुछ दिनों में ही स्थिति बेहतर हो गयी। जहां प्रतिदिन 2-4 ओपीडी होती थी। वहां टेलीमेडिसीन, आरोग्य दिवस सत्र, हेल्थ कैंप और 60 की संख्या में ओपीडी होने लगी। अब ओपीडी में आने वाले मरीजों के लिए पानी, शौचालय, महिला और पुरूषों के अलग बैठने की व्यवस्था भी है।

अधिकारियों ने भी सराहा:

धनुषी जिले का एकमात्र एचडब्ल्यूसी है, जिसे राज्य स्तरीय नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड का सर्टिफिकेट मिला है। सुप्रिया के इस जज्बे को यहां के स्वास्थ्य पदाधिकारी सहित स्वास्थ्य के लिए कार्य करने वाले सहयोगी संस्था भी सहर्ष स्वीकार करते हैं। उन्हें यह भी तकरार है कि फिर से जिले में कोई अन्य सुप्रिया भी सामने आए जो अपने क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य की सुविधा को और मजबूत करे।