नेपाल : भारतीय पत्रकारों की रिपोर्टिंग पर रोक, प्रेस स्वतंत्रता पर मंडराते खतरे
काठमांडू, 29 मई 2025 . नेपाल सरकार ने विदेशी पत्रकारों, विशेषकर भारतीय मीडिया प्रतिनिधियों के लिए रिपोर्टिंग पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है। प्रेस काउंसिल नेपाल द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, अब कोई भी विदेशी पत्रकार नेपाल में ग्राउंड रिपोर्टिंग तभी कर सकेगा जब उसे नेपाल सरकार के सूचना विभाग से पूर्व अनुमति प्राप्त हो। अन्यथा, इसे गैरकानूनी माना जाएगा और......

चंपारण टुडे, काठमांडू/नेपाल -नेपाल सरकार ने भारतीय मीडिया के पत्रकारों के लिए रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे प्रेस स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यह कदम नेपाल में राजतंत्र समर्थक आंदोलनों के मद्देनजर उठाया गया है, जो 29 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल के रूप में शुरू हुए हैं।
प्रेस काउंसिल नेपाल ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि विदेशी पत्रकारों, विशेषकर भारतीय मीडिया के प्रतिनिधियों, को नेपाल में रिपोर्टिंग करने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी। बिना अनुमति के रिपोर्टिंग को गैरकानूनी माना जाएगा और ऐसा करने वाले पत्रकारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इसके अतिरिक्त, नेपाल में कार्यरत भारतीय मीडिया के स्थानीय प्रतिनिधियों के प्रेस पास को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। नेपाल सरकार का कहना है कि यह कदम उन रिपोर्टों के जवाब में उठाया गया है, जिनमें नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और चीनी राजदूत के बीच संबंधों को लेकर आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित की गई थी।
नेपाल सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रेस स्वतंत्रता के नाम पर देश की संप्रभुता और राष्ट्रीयता के खिलाफ कोई भी खबर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकार ने सभी विदेशी मीडिया संस्थानों और पत्रकारों से अपील की है कि वे नेपाल के कानूनों का पालन करें और रिपोर्टिंग के दौरान संवेदनशील मुद्दों पर विशेष सावधानी बरतें।
यह प्रतिबंध ऐसे समय में आया है जब नेपाल में राजतंत्र समर्थक आंदोलन तेज हो रहे हैं और सरकार इन आंदोलनों को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठा रही है। प्रेस पर इस तरह की पाबंदियों से नेपाल में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरा मंडरा रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें इस पर टिकी हुई हैं।
प्रतिक्रिया:
नेपाल में पत्रकारों और मीडिया संगठनों ने इस प्रतिबंध की आलोचना की है। उनका कहना है कि यह कदम प्रेस की स्वतंत्रता को बाधित करता है और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। अंतरराष्ट्रीय पत्रकार संगठनों ने भी नेपाल सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है।
निष्कर्ष:
नेपाल में भारतीय पत्रकारों की रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध और प्रेस पास के निलंबन से प्रेस स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठे हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नेपाल सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच क्या कोई समाधान निकलता है।
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