घोड़ासहन : टोला सेवक बहाली में अनियमितता का आरोप, मेधासूची में अव्वल उम्मीदवार को किया गया दरकिनार, पीड़ित ने दी अनशन की चेतावनी
घोड़ासहन (पूर्वी चंपारण) — पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन प्रखंड में पंचायत स्तर पर टोला सेवक / तालमी मरकज की बहाली प्रक्रिया पर गम्भीर सवाल खड़े हो गए हैं। घोड़ासहन उत्तरी पंचायत के निवासी समीम हैदर, पिता नौसाद अली ने इस प्रक्रिया में भारी अनियमितता और पक्षपात का आरोप लगाते हुए प्रशासन को चेतावनी दी है .....
घोड़ासहन (पूर्वी चंपारण) — पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन प्रखंड में पंचायत स्तर पर टोला सेवक / तालमी मरकज की बहाली प्रक्रिया पर गम्भीर सवाल खड़े हो गए हैं। घोड़ासहन उत्तरी पंचायत के निवासी समीम हैदर, पिता नौसाद अली ने इस प्रक्रिया में भारी अनियमितता और पक्षपात का आरोप लगाते हुए प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे अनशन करेंगे।
क्या है मामला :-
घोड़ासहन प्रखंड के घोड़ासहन उत्तरी पंचायत में टोला सेवक के बहाली का मामला है। जिसमे पीड़ित समीम हैदर का कहना है कि वह मेधासूची में प्रथम स्थान पर थे, इसके बावजूद भी चयन प्रक्रिया में उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। हैरानी की बात यह है कि उनसे छ: स्थान नीचे के अभ्यर्थी को नियुक्त कर लिया गया। उन्होंने सिकरहना अनुमंडल पदाधिकारी एवं घोड़ासहन प्रखंड विकास पदाधिकारी को इस संबंध में आवेदन सौंपा है और बहाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
पीड़ित का कहना है :-
"यह पूरी प्रक्रिया योग्यता के खिलाफ है। जब मेरिट में पहला स्थान प्राप्त करने के बावजूद चयन नहीं होता तो ऐसी नियुक्ति कैसे न्यायसंगत कही जा सकती है? यदि 10 दिनों के भीतर जांच नहीं हुई तो मैं अनशन करूंगा।"
स्थानीय लोगों में नाराजगी :-
घटना की जानकारी फैलते ही स्थानीय लोगों में बहाली प्रक्रिया को लेकर असंतोष और नाराजगी देखने को मिल रही है। ग्रामीणों ने नाम न छपने के शर्त पर बताया कि चयन में पारदर्शिता का घोर अभाव रहा है।
प्रशासन का दो टूका जवाब :-
इस पूरे मामले पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का बयान भी सामने आया है। उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि - "टोला सेवक की नियुक्ति पूरी तरह से नियमानुसार की गई है। मेधासूची और दस्तावेजों की जांच में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं पाई गई है।"
दबेगा या आगे बढ़ेगा मामला :-
अब सवाल उठता है कि प्रशासन इस विवाद की सत्यता की जांच कर निष्पक्ष कार्रवाई करेगा या मामला आंदोलन और कानूनी लड़ाई की ओर बढ़ेगा। पीड़ित पक्ष ने अनशन की चेतावनी दी है और संकेत दिया है कि वे कानूनी कार्रवाई और न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। अब यह मामला न केवल एक व्यक्ति के साथ अन्याय का प्रतीक बन रहा है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर भी प्रश्नचिह्न लगा रहा है।
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